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Showing posts from January, 2022

एक पर्यावरणवादी का घोषणापत्र

फोटो-इंडियन एक्सप्रेस से साभार  वैश्विक एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 के अनुसार  दुनिया के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 21  हमारे देश से थे। इन 21 शहरों में से 10 सिर्फ उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तराखंड पिछले 8-10 सालों से लगातार अपने तेजी से खराब होते पर्यावरणीय हालातों के लिए सुर्ख़ियों  में रहा है। हर मानसून के मौसम में हम लोग त्राहि त्राहि कर रहे होते हैं। पंजाब में हरित क्रांति के फलस्वरूप चलने वाली कैंसर एक्सप्रेस हमारी खेती और भोजन में मिलने वाले ज़हर की ताक़ीद करती है और उस राज्य के खोखले होते युवा और किसान वर्ग की एक अफसोसनाक तस्वीर  पेश करती है। गोवा में पिछले कई वर्षों से खनन के खिलाफ और वहां के पर्यटन उद्योग के पर्यावरण  पर पड़ते बेहिसाब असर के खिलाफ आये दिन स्थानीय लोग आंदोलन करते ही रहते हैं। इन राज्यों में 140 करोड़ की जनसँख्या वाले हमारे देश की लगभग 22 प्रतिशत जनसँख्या रहती है। इन सभी राज्यों में अगले महीने से चुनाव हैं पर क्या आपने कभी यहाँ के पर्यावरण की बदतर हालत को चुनाव के शोर में सुना? हमने सोचा कि चलो इस नक्कारखाने में तूती हम ही बजाएं।  ये जानते हुए भी कि यदि इस दशक म

नया मीडिया- उम्मीद की किरण

फोटो न्यूज़लॉन्ड्री से साभार  पिछले लगभग एक दशक से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ, पत्रकारिता की नींव लगातार कमज़ोर हुयी है। कारण बहुत से हैं जिसमें पहला है पत्रकारों की एक पूरी पीढ़ी का पूँजीवाद के युग में बढ़ती तनख्वाहों, विलासिता और लालच के चक्कर में चारित्रिक पतन होना। दूसरा, इसी युग में टी.आर.पी. की कसौटी पर पत्रकारिता के खरे उतरने की चुनौती ने भी मीडिया को रसातल तक ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। तीसरा कारण है राजस्व का वह मॉडल जो पूरी तरह सरकारी विज्ञापनों पर आधारित है जिसने मीडिया को सरकारी दवाबों के आगे झुकने पर मज़बूर कर दिया है। और चौथा कारण जो हमें समझ में आता है, वह है मीडिया में खबरों का अकाल और विचारों की बाढ़। मीडिया में तेजी से रिपोर्टरों और संवाददाताओं की संख्या काम होती जा रही है और ओपिनियन पीस या बहस या एक ही खबर को बार बार दिखाने का ट्रेंड ज्यादा है। जब आपके पास कुछ है ही नहीं दिखाने के लिए तो देश को एक ही खबर के जाल में उलझाए रखो, इस तरह अभी का मीडिया चलता है।  पिछले 10 सालों में ही मीडिया के इस ह्रास की प्रतिक्रिया में कई नए या वैकल्पिक मीडिया प्रयोग शुरू हुए हैं ज