यह लेख मूलतः श्री अमिताभ बेहार (निदेशक ऑक्सफैम ) द्वारा लिखा गया है। इंडियन डेवलपमेंट रिव्यु की वेबसाइट पर यह लेख 28 मई 2020 को छपा। अपनी बेबाकी और पैने सवालों के कारण इस लेख की काफी चर्चा हुयी है। हमें लगा कि इस लेख को हिंदी के पाठकों तक पहुंचना चाहिए इसलिए इसका अनुवाद हम यहाँ दे रहे हैं। अनुवाद शब्द दर शब्द किया हुआ नहीं है। पर लेख में व्यक्त किये गए विचारों और तथ्यों को इसमें नहीं बदला गया है। हम इस लेख के विचारों के पूरे हामी नहीं हैं पर इसके प्रश्नों पर विचार करना जरूरी है। आप इस लेख को अंग्रेजी में यहाँ पढ़ सकते हैं - https://idronline.org/civil-societys-road-to-irrelevance/ धन्यवाद !! सुप्रीम कोर्ट ने ६ मार्च 2020 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिस पर बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया। सुप्रीम कोर्ट ने INSAF (इंडियन सोशल एक्शन फोरम) नाम की सामाजिक संस्था के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विदेशी अंशदान विनियमन क़ानून, 2011 के प्रावधानों के विपरीत सिविल सोसाइटी के राजनीतिक उद्देश्य से हस्तक्षेप करने के अधिकार को वैध ठहराया । इस फैसले को भारत के जनतं...
सम-सामायिक विषयों, पोस्ट डेवलपमेंट (उत्तर विकासवाद) और विकास के वैकल्पिक मार्गों की बात; जंगल के दावेदारों की कहानियां, कुछ कविताएं और कुछ अन्य कहानियाँ, व्यंग्य