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Showing posts from December, 2023

प्रेम की राजनीति

इस आलेख की विषयवस्तु 2011 में बनी हॉलीवुड फिल्म "पॉलिटिक्स ऑफ़ लव" नहीं है जिसकी कहानी एक डेमोक्रेट पार्टी समर्थक और एक रिपब्लिकन पार्टी समर्थक पुरुष और स्त्री के बीच प्रेम की गुंजाइश को तलाशती महसूस होती है।  मालूम हो कि भारतीय अभिनेत्री मल्लिका शेरावत ने उसमें एक अहम् किरदार निभाया था। मैं मई 2023 में मृणाल पण्डे जी के द वायर में छपे " Why We Need to Embrace a Politics of Love" नामक लेख के बारे में भी बात नहीं कर रहा जिसमें उन्होंने राहुल गाँधी द्वारा प्रधानमंत्री को संसद में गले लगाने के उपक्रम पर टिपण्णी की थी।  ये विचार जो मैं यहाँ बांटना चाहता हूँ वो हमारे चारों ओर बढ़ती हिंसा और उसके मेरे और मेरे आसपास के लोगों के  अंतर्मन पर लगातार पड़ने वाले असर का परिणाम है।  कोई दिन ऐसा बीतता नहीं जब कोई ऐसी बात न होती हो जिससे मन में तेज़ नफरत न फूटती हो।  पर क्या करें। कुछ न कर पाने की विवशता से निकला हुआ लेख है ये। एक व्यथित मन की किंकर्तव्यविमूढ़ता का अपराधबोध।   मुझे यकीन है कि जो मैं लिख रहा हूँ वह कोई मौलिक विचार नहीं है। मुझे तो अम्बेडकर के प्रसिद्द लेख "अन्निहिल