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Showing posts from October, 2020

मानव-वन्य-जीव मुठभेड़- महिलाओं पर असर: अपडेट अक्टूबर 2020

दैनिक हिंदुस्तान में छपी रामगढ़, नैनीताल की पीड़ित महिला की तस्वीर  महिलाओं पर मनाव-वन्य जीव मुठभेड़ का असर अक्टूबर माह में ख़ास तौर पर महसूस किया गया। मैं जिन खबरों को जुटा पाया, उनमें से अधिकतर उत्तराखंड से थीं। खासतौर से नैनीताल जिले से।  कुल मिला कर महिलाओं पर हमले की 21 घटनाएं  प्रकाश में आयीं। इनमें से 7 मामलों में महिला की मृत्यु हो गयी। बाकी 14 में महिलाएं घायल हुईं। 21 में से 18 मामले तेंदुए या गुलदार के हमले के थे।  बारिश के बाद का अक्टूबर का महीना महिलाओं की दिनचर्या में, खासतौर से उत्तराखंड और अन्य हिमालयी क्षेत्रों में चारा जमा करने का होता है। अधिकतर मामलों में हमले जंगल जाती और घास काटती औरतों पर हो रहे हैं।  तेंदुओं का हमला हमें बताता है कि यह सिर्फ इसलिए नहीं हो रहे कि महिलाएं अचानक जंगली जानवरों के सामने आ रही हैं। कम से कम उत्तराखंड में तो घात लगाकर हमला होता हुआ नज़र आता है।  नैनीताल  जिले के मुख्य शहर हल्द्वानी  के आसपास के क्षेत्रों में तक में यह हमले हुए। यहाँ तो हमने अधिकतर औरतों पर हमलों के बारे में बताया है पर हमले पुरुषों हुए हैं पर काफी कम। पुरुषों पर हमले घात लग

ग्लोबल हंगर इंडेक्स-हम कहाँ पहुंचे

पिछले साल हम 102 नंबर पर थे, नाइजर और सिएरा लीओन के बीच। इस साल हम 94 पर हैं, अंगोला और सूडान के बीच। पिछली रेटिंग 117 देशों के बीच में थी। इस बार 107 देशों के बीच है। पिछले साल हमारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स वैल्यू थी 30.3 और इस बार हमारी वैल्यू है 27. 2। पिछले साल भी हम सीरियस केटेगरी में थे। और इस साल भी। रिपोर्ट में विश्लेषित आंकड़े 2020 के नहीं हैं।  हम यह मान सकते हैं कि कोविड-19 के दुष्प्रभावों का असर इस रिपोर्ट में नहीं दिख रहा है , जोकि शायद हमारी रैंक को और गिरा सकता है  या कम से कम हमारी वैल्यू को बेहद बढ़ा सकता है जोकि कोई अच्छी बात नहीं है।   हालाँकि रिपोर्ट हमें बताती है कि हर बार चालू साल की रिपोर्ट की पिछले साल की रिपोर्ट से तुलना नहीं की जा सकती पर फिर भी कुछ तो फ़र्क़ हम देख ही सकते हैं। मसलन अंगोला 2000 से 2020 तक अपनी इंडेक्स वैल्यू को लगभग 64.9 से 26.8 पर ले आया और हम इतने ही वक़्त में 38.9 से 27.2 पर पहुंचे हैं। मैंने भारत के सूची में स्थान को इस तरह से समझने की कोशिश की जिससे से यह पता लग पाए कि हमारे देश के भूख और कुपोषण हटाने के प्रयास में कोई सच्चाई है के नहीं। रिपोर्ट

गाँधी, भगत सिंह, अम्बेडकर- खंड 1

शीर्षक के नाम आपको लेख पढ़ने के लिए मजबूर करने के लिए थे। नहीं तो मेरा मानना है कि नामों को विचारों से जोड़ना, उन लोगों के साथ ज़्यादती है जिनके नाम से वह विचार जुड़ जाता है। विचार या विचारधारा अपने आप में इतनी परिष्कृत होती है कि उसे किसी पर भी लादना, चाहे वह उस विचार का मूल प्रणेता ही क्यों न हो, यह उसके प्रति एक प्रकार की हिंसा है। कोई भी विचारधारा एक आदर्श मानव या आदर्श जीवन का सपना दिखाती है।  और एक आदर्श विचार और आदर्श व्यक्ति के जीवन में थोड़ा फ़र्क़ होना तो लाजिमी है।  इसलिए, हम इस लेख में गाँधी, अम्बेडकर  और भगत सिंह के विचारों की बात करेंगे, उनके व्यक्तित्वों की नहीं। और इन व्यक्तियों के  ऐतिहासिक विरोधों में न फंसते हुए, क्या इन तीनों को गूंथा जा  सकता है? इसी सवाल से जूझने की कोशिश यह लेख कर रहा है। मैं पूरी बात एक कड़ी में नहीं कह सकता इसलिए अपनी बात को तीन-चार खण्डों में कहने की कोशिश करूंगा।   गाँधी, भगत सिंह और अम्बेडकर । आधुनिक भारत के इतिहास में ये तीनों हिमालय के महान शिखरों से हैं। कोई और नाम इनके आसपास भी नहीं पहुँच पाते। इनकी गहराई इस तरह समझी जा सकती है भारत में इस समय म