दैनिक हिंदुस्तान में छपी रामगढ़, नैनीताल की पीड़ित महिला की तस्वीर |
महिलाओं पर मनाव-वन्य जीव मुठभेड़ का असर अक्टूबर माह में ख़ास तौर पर महसूस किया गया। मैं जिन खबरों को जुटा पाया, उनमें से अधिकतर उत्तराखंड से थीं। खासतौर से नैनीताल जिले से।
कुल मिला कर महिलाओं पर हमले की 21 घटनाएं प्रकाश में आयीं। इनमें से 7 मामलों में महिला की मृत्यु हो गयी। बाकी 14 में महिलाएं घायल हुईं। 21 में से 18 मामले तेंदुए या गुलदार के हमले के थे।
बारिश के बाद का अक्टूबर का महीना महिलाओं की दिनचर्या में, खासतौर से उत्तराखंड और अन्य हिमालयी क्षेत्रों में चारा जमा करने का होता है। अधिकतर मामलों में हमले जंगल जाती और घास काटती औरतों पर हो रहे हैं।
तेंदुओं का हमला हमें बताता है कि यह सिर्फ इसलिए नहीं हो रहे कि महिलाएं अचानक जंगली जानवरों के सामने आ रही हैं। कम से कम उत्तराखंड में तो घात लगाकर हमला होता हुआ नज़र आता है।
नैनीताल जिले के मुख्य शहर हल्द्वानी के आसपास के क्षेत्रों में तक में यह हमले हुए। यहाँ तो हमने अधिकतर औरतों पर हमलों के बारे में बताया है पर हमले पुरुषों हुए हैं पर काफी कम। पुरुषों पर हमले घात लगाकर होते हुए नहीं दिखाई देते। अचानक आमना-सामना होने के कारण हुए से प्रतीत होते हैं।
पिछले महीने महिलाओं के ऊपर हुए कई हमलों में अधिक महिलाओं ने किशोरियों या कम उम्र की महिलाओं बचाई। इन महिलाओं की बहादुरी की कहानी ज्यादा कही नहीं जाती पर शायद केहनी चाहिए।
एक महिला की कहानी ने मुझे विशेष तौर पर छुआ।पिथौरागढ़ के चंडाक क्षेत्र के पपदेऊ गांव की एक महिला। पिछले साल उसकी जेठानी गुलदार का शिकार हुई थी। इस साल वह।
वन विभाग इन हमलों को लेकर ज़बरदस्त दबाव में है। जन प्रतिनिधियों का दबाव तो है ही, स्थानीय लोग दहशत में रात भर गश्त लगा रहे हैं। हल्द्वानी में वन विभाग के दफ्तर पर गुस्साई भीड़ ने ताला जड़ दिया दिया था। यह गुस्सा आगे हमें किस ओर ले जाएगा, हमें इसका अंदाजा नहीं है। ऊपर दी गयी दैनिक हिंदुस्तान की कतरन की तस्वीर देखिये। वन विभाग की निगरानी में घास काट रही महिलाओं की तस्वीर यह बयान कर रही है कि वन विभाग कैसे पसोपेश में है।
वन विभाग की दलील है कि तालाबंदी के दौरान जंगली जानवर अधिक निर्भीक हो गए हैं और अधिक बड़े क्षेत्रों में घूम रहे हैं। पर मुझे लगता है कि कारण मात्र तालाबंदी नहीं है। महिलाओं पर हमला घात लगाकर हो रहा है। जंगल में शिकार कम होने से भी ऐसा हो सकता है। शिकार कम होने का कारण चारा कम होना भी हो सकता है। आप में से जो लोग विशेषज्ञ हैं, वह अपनी राय ज़ाहिर करें।
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https://mainkabir.blogspot.com/2020/09/blog-post_20.html
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