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Showing posts from September, 2021

उबुन्टु, सामुदायिक संसाधन और एलिनोर ओस्ट्रॉम

अफ्रीका का एक बड़ा मशहूर किस्सा है।  एक मानवविज्ञानी ने अफ्रीकी जनजातियों के अपने अध्ययन के दौरान वहाँ के बच्चों को एक खेल का प्रस्ताव दिया। उसने एक पेड़ के पास फल से भरी एक टोकरी डाल दी और दूर बैठे बच्चों को बताया कि जो भी वहां टोकरी तक पहले पहुंचेगा उसे सारे फल मिल जायेंगे। जब उसने बच्चों को दौड़ने को कहा तो वह सब एक दूसरे का हाथ पकड़ कर दौड़ प ड़े और फल आपस में बांटने लगे। जब उसने उनसे पूछा कि वे इस तरह क्यों कर रहे थे , तो उनका जवाब था: "UBUNTU! इसका अर्थ था, हम में से एक कैसे खुश रहेगा यदि अन्य सभी दुखी हैं? " "उबुन्टु"- इसी सामुदायिक भावना में मानवता का असल सार है। दुनिया भर के गाँव और शहर ऐसे अनेकों उदाहरणों से अटे पड़े हैं। ये सामुदायिक भावना उस कम्युनिस्ट विचारधारा से बंधी नहीं है जोकि प्रोलीतारिआत के नाम पर सर्वशक्तिमान राज्य की कल्पना करती है। न ही यह कोरी पूंजीवादी सोच है जोकि व्यक्तिगत आज़ादी के नाम पर मानव महत्वाकांक्षाओं का अश्लील उत्सव बनाती है। यह उन सब के बीच कहीं है, गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा के आसपास। अंग्रेजी में हम इस सामुदायिकता के विचार को कॉ...