फोटो पुस्तकमहल से साभार हुआ यूँ कि हमें शौक हुआ चिल्ड्रन नॉलेज बैंक पढ़ने का। पुस्तक महल का चिल्ड्रन नॉलेज बैंक। तीसरे, चौथे दर्जे से ही उसे पढ़ने लगा था। उसे पढ़कर ऐसा लगता था कि हम विज्ञान और सोच के पैमाने पर सबसे कहीं आगे निकल गए हैं । हमें पता था कि- क्या ऐतिहासिक दौड़ाक नूरमी कभी तेल चलाता था? क्या ध्यानसिंह की हॉकी में चुम्बक लगा रहता था? पृथ्वी गोल क्यों है और ये कैसे पैदा हुई ? रात में तारे चमकते क्यों हैं ? क्या कुछ लोग आदमखोर हो सकते हैं? क्या मोनालिसा सचमुच मुस्कुरा रही है? पिसा की झुकी हुयी मीनार गिरती क्यों नहीं ? दुनिया का सबसे बड़ा ऑफिस कौनसा है ? और न जाने कैसे कैसे मज़ेदार शीर्षक होते थे और उनके गहरे जवाब। कई सारे तो मैंने कई बार पढ़े उस वक़्त। जैसे चौथी कक्षा में हमें पता था कि पिसा की मीनार इसलिए नहीं गिरती कि क्योंकि उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र (centre of gravity )उसके अंदर ही है। जिस दिन वह उस से बाहर निकलेगा, वह गिर जायेगी। बाद में ग्यारहवीं में आकर समझ आया कि गुरुत्वाकर्षण केंद्र होता क्या है।पर वह शब्द मेरे शब्दकोष में चौथी में ही आ गया था। मुझे लगत...
सम-सामायिक विषयों, पोस्ट डेवलपमेंट (उत्तर विकासवाद) और विकास के वैकल्पिक मार्गों की बात; जंगल के दावेदारों की कहानियां, कुछ कविताएं और कुछ अन्य कहानियाँ, व्यंग्य