मंडला में देशी मक्के की किस्में-कुछ दिनों में शायद बीते कल की बात बन जाएँ कुछ समय पहले मेरे एक दोस्त ने जोकि मेरी तरह एक गैर सरकारी संस्था में ग्रामीण विकास के लिए कार्य करता है, एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। उसने बताया के वह एक अजीब अनुभव से गुज़र रहा है। मेरा दोस्त बहुत समय से मंडला के एक गाँव में किसी परिवार के साथ मचान खेती पर काम कर रहा था। मचान खेती सघन खेती का एक मॉडल है जिसमें एक समय में एक जमीन के टुकड़े से कई फसलें ली जाती हैं, कुछ जमीन पर और कुछ जमीन से उठ कर मचान पर, बेलें चढ़ाकर । जिस परिवार को उसने प्रेरित किया, उसने पहले साल ज़बरदस्त मेहनत की और बड़ा मुनाफा कमाया। दूसरे साल भी परिवार के साथ वो काम करता रहा। और नतीजा फिर बढ़िया निकला। तीसरे साल उसने सोचा के परिवार अब तो खुद ही मचान खेती कर लेगा। बरसात के आखिरी दिनों में मेरा दोस्त उस परिवार से मिलने गया। वहां जो उसने देखा, उससे वो भौंचक्का रह गया। उसने देखा की मचान खेती नदारद थी। उसकी जगह पारम्परिक खेती ले चुकी थी। उसने घर के महिला से पूछा- "काय दीदी, इस ब...
good one..
ReplyDeleteबिल्कुल सही अनुभव और सही विचार रखा गया है
ReplyDeleteबहोत अच्छी कविता लिखी गई है। सब कुछ कर ले मगर अपनी विजय से जादा खुश मत हो।
ReplyDeleteबहोत अच्छी कविता लिखी गई है। सब कुछ कर ले मगर अपनी विजय से जादा खुश मत हो।
ReplyDeleteVery touching
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